लव यू जिंदगी
लव यू जिंदगी
समय बीत रहा घर पर बैठे बैठे
सोच रहा है दिल की क्या करू
चल रही है घड़ी
दौड़ रहा है समय
इंसान बोर हो रहा है
कह रहा है उसका मन
कब आएगे वो दिन जब मैं फिर से घुमुँगा खुले आसमानों के नीचे
कब मिलेगी आज़ादी इस मास्क से
कब बिना मास्क के लुँगा मैं चैन की सांस
कब मैं कहुँगा इस मास्क को बाई बाई
कब होंगे मेरे सपने पुरे जो रह गए अधुरे
ऐसा लग रहा है जैसे की
बचपन बीत गया भारत को आज़ादी कैसे मिली थी पड़ते पड़ते
अब जवानी ना बीत जाए मास्क से कब आज़ादी मिलेगी सोचते सोचते
लगाना होगा जुगाड़ उठाना होगा कदम
जिसे की मैं फिर कह सकुँ
लव यू जिंदगी