इंसान घर बेटे सोच राहा
इंसान घर बेटे सोच राहा
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इंसान घर बेटे सोच रहा की जिंदगी कहा ले जाएगी
कोरोना का प्रभाव बढ रहा
लोगो की उम्मीद टूट रही
कुछ समझ नही आ रहा
कहता है इंसान अपने आप से
क्युं मैं घबराऊँ
क्युं मैं डरु
क्युं मैं रुकूँ
क्युं मैं न लडूँ
इस कोरोना से
क्युं मैं कोरोना को जीतने दूँ
कुछ कर दिखाना है
अब कोरोना को भगाना है
एक नया कदम उठाना है
और एक नए भारत और एक नए जीवन को अपनाना है
और भारत को स्वदेशी बन आत्मनिर्भर बनाना है