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मेरे जिन्दा रहते तू न झुका सकेगा झंडे को तेरे सीने में लहराउंगा अपने इस तिरंगें को। मेरे जिन्दा रहते तू न झुका सकेगा झंडे को तेरे सीने में लहराउंगा अपने इस तिरं...
इस पर सब धर्म निछाव चांदी जैसी शुभ्र अहिंसा इस पर सब धर्म निछाव चांदी जैसी शुभ्र अहिंसा
फाड़ सकता मैं उन लम्हों को जिन्होंने मुझे रुलाया है.. फाड़ सकता मैं उन लम्हों को जिन्होंने मुझे रुलाया है..
फाड़ सकता मैं उन लम्हों को जिन्होंने मुझे रुलाया है. फाड़ सकता मैं उन लम्हों को जिन्होंने मुझे रुलाया है.