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न करते थे कभी पलटवार ऐसा था बचपन का परिवार, न करते थे कभी पलटवार ऐसा था बचपन का परिवार,
बरगद बोले मुझको कहते है बड़, बरगद बोले मुझको कहते है बड़,
पक्षी बनाते मुझमें नीड़, राहगीरों की लगती है भीड़, पक्षी बनाते मुझमें नीड़, राहगीरों की लगती है भीड़,