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और प्रवाह नदी का उलटी दिशा में कभी बहता नहीं। और प्रवाह नदी का उलटी दिशा में कभी बहता नहीं।
तुम्हारा स्नेह ही तो मेरी संजीवनी माँ तुम हो तभी मैं हूँ। तुम्हारा स्नेह ही तो मेरी संजीवनी माँ तुम हो तभी मैं हूँ।