पढ़ना मेरा शौक है लेखनी मेरी पहचान
मैं नारी हूं छली गई हूँ सदियों से ही अपनों से, कभी सीता बन भटकी हूँ मैंं वन-वन! मैं नारी हूं छली गई हूँ सदियों से ही अपनों से, कभी सीता बन भटकी हूँ मैंं वन-व...
सिर्फ एक दिन मैं हिंदी दिवस कैसे मनाऊँगी। सिर्फ एक दिन मैं हिंदी दिवस कैसे मनाऊँगी।
धानी रंग में रच माँ का आँचल करती नव श्रृंगार जैसे कोई दुल्हन। धानी रंग में रच माँ का आँचल करती नव श्रृंगार जैसे कोई दुल्हन।