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मिटने में मीत सा, अहसास ये कैसा गत विगत, अहसास ये सतत कैसा.. मिटने में मीत सा, अहसास ये कैसा गत विगत, अहसास ये सतत कैसा..
हारा नहीं, जो जगा हूँ आज...! हारा नहीं, जो जगा हूँ आज...!
मैं आज फिर खामोश हूँ और कलम दौड़ना चाहती है...! मैं आज फिर खामोश हूँ और कलम दौड़ना चाहती है...!