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निकला करता था कभी, आसमां को झुकाने ईक दिन, कभी अपने ठोकरों में,जमाने को रक निकला करता था कभी, आसमां को झुकाने ईक दिन, कभी अपने ठोकरों में,जम...
पड़ी थी जो बेड़ियां मेरे मास्तिषक पर, ले गयी हो जैसे सब कुछ भंवर में। पड़ी थी जो बेड़ियां मेरे मास्तिषक पर, ले गयी हो जैसे सब कुछ ...
अब तो मेरे धड़कनों से भी, निकलती है बस यही ध्वनि। अब तो मेरे धड़कनों से भी, निकलती है बस यही ध्वनि।
दु:ख ही है वो अनोखा माध्यम जो करा दे हमारा ईश्वर से साक्षात्कार।। दु:ख ही है वो अनोखा माध्यम जो करा दे हमारा ईश्वर से साक्षात्कार।।