विनोद महर्षि'अप्रिय'
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लिखना और पढ़ना ही मेरी जिंदगी है।

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प्यार का ख़ंजर तो किस्मत वालों को मिलता है दिल तक का रास्ता तेरे लिए गुलाब से सजता है खबर तुझको नही की वीरान दिल कैसे खुश है बंजर वन में तेरी याद में महकता गुलाब खिलता है।।

हर पल कुछ  नया करने का ही भाव हो राह पर सदैव आगे बढ़ने का ही चाव हो जीवन का हर मोड़ बहुत कुछ सिखाता है लहू में उबाल और रवानी का ताव हो। ""अप्रिय""

तेरे होने का अहसास ही है बस जीने के लिये दुनियाँ तो है घाव पर नमक डालने के लिए यूँ तो चाहत है तेरे संग जाम छलकाने की बस अब तो अश्क ही बाकी हैं पीने के लिए।।

तेरे होने का अहसास ही है बस जीने के लिये दुनियाँ तो है घाव पर नमक डालने के लिए यूँ तो चाहत है तेरे संग जाम छलकाने की बस अब तो अश्क ही बाकी हैं पीने के लिए।।

आसमाँ वारिद से अटा है आज घटा की अद्भुत 'छटा है आज मंद बयार अरमान जगा रही है यादों से कोई हमे सता रही है।। अप्रिय

हर मोड़ पर इक  ख्वाहिस मिलती है यहां जनाब इस इश्क के बाजार का हाल ऐसा है सपने हजारों सजाकर महबूब निकला था लाखों गम समेटकर आज घर आया है।। अप्रिय"""


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