None
क्या भाव की कमियाँ कहीं..!! या कहीं कलम ही गूंगों का है। क्या भाव की कमियाँ कहीं..!! या कहीं कलम ही गूंगों का है।
पहले दो दिन ठहरती तो थी, अब दो क्षण मे चली जाती है........ पहले दो दिन ठहरती तो थी, अब दो क्षण मे चली जाती है........
मृदा मे सने हुए पग को, मैंने खेतों मे देखा है। मृदा मे सने हुए पग को, मैंने खेतों मे देखा है।
जहाँ, वशुंधरा की क्षुधा शून्य हो, मानवता से, धरा शून्य हो। जहाँ, वशुंधरा की क्षुधा शून्य हो, मानवता से, धरा शून्य हो।