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पात पात प्रतीति परिभाषित, है तुम बिन फागुन अभिशापित। पात पात प्रतीति परिभाषित, है तुम बिन फागुन अभिशापित।
अबकी तोरी में रंग दूंगा कोरी चुनर, सोचकर मन मयूरा मचलने लगा।। अबकी तोरी में रंग दूंगा कोरी चुनर, सोचकर मन मयूरा मचलने लगा।।
मुस्काया मन, हर्षाया तन, जन-जन, वन-वन वौराया, देखो फिर फागुन आया। मुस्काया मन, हर्षाया तन, जन-जन, वन-वन वौराया, देखो फिर फागुन आया।
मोहे देश प्रेम का रंग डारो, आओ भारत मां के प्यारों। मोहे देश प्रेम का रंग डारो, आओ भारत मां के प्यारों।