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वहशी-दरिंदों का पत्थर-दिल क्या मोम बन जाएगा, वहशी-दरिंदों का पत्थर-दिल क्या मोम बन जाएगा,
था परिवार शोक-संत्पत आगे कैसे चलेगी घर की गाड़ी यही सोच रहा था, था परिवार शोक-संत्पत आगे कैसे चलेगी घर की गाड़ी यही सोच रहा था,
जिस वटवृक्ष की छाँव पायी जिन की उँगली पकड़कर जीवन की राहें बनायीं, जिस वटवृक्ष की छाँव पायी जिन की उँगली पकड़कर जीवन की राहें बनायीं,
समझ रहे हैं बच्चे आज के हमको पुराना काॅपी-कवर। समझ रहे हैं बच्चे आज के हमको पुराना काॅपी-कवर।