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आखिर क्यों उससे डरता है, बिन चिंता क्यों न मरता है आखिर क्यों उससे डरता है, बिन चिंता क्यों न मरता है
जब सच और झूठ का, समझ में आता भेद ना। तब सच को उजागर करती, कविता मन की जब सच और झूठ का, समझ में आता भेद ना। तब सच को उजागर करती, ...
प्रकृति ने श्रृंगार रचा, तब संस्कृति ने श्रृंगार रचा। शुचिता ने श्रृंगार रचा, तब कविता ने श्रृंगा... प्रकृति ने श्रृंगार रचा, तब संस्कृति ने श्रृंगार रचा। शुचिता ने श्रृंगार रचा, ...