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चुप की जुबां चुप की जुबां
उम्र के दूसरे पड़ाव में याद आती यादें उम्र के दूसरे पड़ाव में याद आती यादें
प्यार में बालिश्त भर की दूरी भी मीलों की दुरी लगती है प्यार में बालिश्त भर की दूरी भी मीलों की दुरी लगती है
औरत की ज़िन्दगी चूल्हे चौके से शुरू कर घर गृहस्थी में सिमट जातीं है ,और वही औरत जिससे घर बनता हैं वो ... औरत की ज़िन्दगी चूल्हे चौके से शुरू कर घर गृहस्थी में सिमट जातीं है ,और वही औरत ज...