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कभी सर्द में पौधों को तिरपाल ओढ़ाता है तो कभी तपती धूप में बारिश की गुहार लगाता है कभी सर्द में पौधों को तिरपाल ओढ़ाता है तो कभी तपती धूप में बारिश की गुहार लगात...
पर है ताकत उस आभा में जो फिर भी सब कुछ भूल रही पर है ताकत उस आभा में जो फिर भी सब कुछ भूल रही