I'm AMIT and I love to read StoryMirror contents.
पर है कहाँ ठीक आजकल, मनुज की प्रवृत्ति, दिनों दिन देखो जाए हैं, उसकी चाह बढ़ती। पर है कहाँ ठीक आजकल, मनुज की प्रवृत्ति, दिनों दिन देखो जाए हैं, उसकी चाह बढ़ती...
घर भले ही खाली है, सपनों से ही दीवाली है घर भले ही खाली है, सपनों से ही दीवाली है
भर रही उड़ान आज बेटियाँ नभ में। दुनिया को दे रही चुनौती पग पग में।। भर रही उड़ान आज बेटियाँ नभ में। दुनिया को दे रही चुनौती पग पग में।।