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कब मुकम्मल है बिन मौत के जिंदगी मौत चाहे लाख डराये उसे। कब मुकम्मल है बिन मौत के जिंदगी मौत चाहे लाख डराये उसे।
घूमता है काबा काशी तलाश में उसके क्या तूने रूह में भी ईश्वर बसा रखा है घूमता है काबा काशी तलाश में उसके क्या तूने रूह में भी ईश्वर बसा रखा है