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एक-एक बलिदान तुम्हारे को शत-शत वंदन करती।। एक-एक बलिदान तुम्हारे को शत-शत वंदन करती।।
अंतिम पल के उन कष्टों का कुछ मैंने दर्द सहा होता।। अंतिम पल के उन कष्टों का कुछ मैंने दर्द सहा होता।।
हिय दर्द भरा घन उमड़े जब, हम नव खुशियाँ बरसाते हैं। हिय दर्द भरा घन उमड़े जब, हम नव खुशियाँ बरसाते हैं।