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वो शक्ल बदल कर मिलता रहा वो शक्ल बदल कर मिलता रहा
पुराने महलों के खंडहर की शिनाख्त में मैं मिलूँगा पुराने महलों के खंडहर की शिनाख्त में मैं मिलूँगा
उस आज़ादी का जिसने पढ़े लिखे लोगों को ग़ुलाम बना दिया है उस आज़ादी का जिसने पढ़े लिखे लोगों को ग़ुलाम बना दिया है
हमारी तो क़यामत हो गई हमारी तो क़यामत हो गई