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तू आप स्वयं चिंगारी है फिर क्यों भय तुझ पर भारी है? तू आप स्वयं चिंगारी है फिर क्यों भय तुझ पर भारी है?
मानव-मन का एक सहारा अंधकार-मय बने मनुज मन, आज यही संकल्प हमारा मानव-मन का एक सहारा अंधकार-मय बने मनुज मन, आज यही संकल्प हमारा
क्या एक विजेता कभी व्यथित हो सकता है? क्या एक विजेता कभी व्यथित हो सकता है?
कुरुक्षेत्र का मूल कारण क्या था? जितने व्यक्तित्व, उतने विचार। इस प्रश्न पर हर बुद्धिजीवी का अपना दृ... कुरुक्षेत्र का मूल कारण क्या था? जितने व्यक्तित्व, उतने विचार। इस प्रश्न पर हर ब...