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न इतने साधन और न इंटरनेट पर इन अभावों के बीच भी मन नहीं इतने रीते होते थे । न इतने साधन और न इंटरनेट पर इन अभावों के बीच भी मन नहीं इतने रीते होते थे...
ये नन्हे कण तो, सम्पूर्ण कमरे में समाएँ हैं। ये नन्हे कण तो, सम्पूर्ण कमरे में समाएँ हैं।
फिर एक ख़ुशनुमा सुबह होगी , हाथों में गर्मा गर्म चाय की प्याली होगी। फिर एक ख़ुशनुमा सुबह होगी , हाथों में गर्मा गर्म चाय की प्याली होगी।