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प्रश्न न इच्छा न कोलाहल खुद से ऐसी रूठ गई। प्रश्न न इच्छा न कोलाहल खुद से ऐसी रूठ गई।
कई मित्र थे सब अल्हड़ से जीव-प्राणी का भेद नहीं था कई मित्र थे सब अल्हड़ से जीव-प्राणी का भेद नहीं था
जाने क्या मिल गया,मन कुलाचे भरे इतना इतराए क्यूँ,क्यूँ न कुछ ये कहे। जाने क्या मिल गया,मन कुलाचे भरे इतना इतराए क्यूँ,क्यूँ न कुछ ये कहे।