a common man, Banker by profession, poet by heart
गुजर सा गया हूँ! या, और थोड़ा, सँवर सा गया हूँ? बसंत के ये , दरख्त जैसे! गुजर सा गया हूँ! या, और थोड़ा, सँवर सा गया हूँ? बसंत के ये , दरख्त जैसे!
लेते गर सुधि, ऐ, सखी, सौंप देता, ये ख्वाब सारे, सुध जो हारे, बाँध देता, उन्हें आँचल लेते गर सुधि, ऐ, सखी, सौंप देता, ये ख्वाब सारे, सुध जो हारे, बाँध दे...
आजीविका की तलाश, है जीवन से बड़ी, जीने के लिए, इक जंग सी है छिड़ी, अपनों से दूर, हुआ है आदमी, बिस... आजीविका की तलाश, है जीवन से बड़ी, जीने के लिए, इक जंग सी है छिड़ी, अपनों से दू...
समुंदर की अधूरी कथाएँ, लहरें, तट तक कहने को आए, तब टूटते हैं, शब्दों के स्तम्भ। समुंदर की अधूरी कथाएँ, लहरें, तट तक कहने को आए, तब टूटते हैं, शब्दों के स्...