I'm BIKASH KUMAR and I love to read StoryMirror contents.
सफर में सहारा ढूंढ़ते रह जाते, राहों में नज़ारा ढूंढ़ते रह जाते, नज़रें मिलाये तुम तो लगा समंदर यह... सफर में सहारा ढूंढ़ते रह जाते, राहों में नज़ारा ढूंढ़ते रह जाते, नज़रें मिलाये...
कुछ तो हक़ बनता है तेरे रेत पे ए किनारा, वो लहर हूँ मैं जो समंदर छोड़ आया हूँ। कुछ तो हक़ बनता है तेरे रेत पे ए किनारा, वो लहर हूँ मैं जो समंदर छोड़ आया हूँ।
हर गम हर शिकवे को वो ऐसे भूला देती है, रूठती रहती है माँ पर खाने को बुला देती है... ऐसी ही होती है ... हर गम हर शिकवे को वो ऐसे भूला देती है, रूठती रहती है माँ पर खाने को बुला देती ह...