शायर
मानवता अब बची नहीं है पत्थर के इंसानों की! मानवता अब बची नहीं है पत्थर के इंसानों की!
लालसा है जीने की, गरीबी का समर हूँ, लालसा है जीने की, गरीबी का समर हूँ,