मैं एक रचनाकार हूँ , स्वच्छंद रूप से लिखना पंसद करती हूँ । मुझे साहित्य सागर में गोते लगाना बहुत पंसद है । इस पटल पर नयी रचनाकार हूँ ।आप सब के प्रोत्साहन की आवश्यकता है । आपके एक शब्द मुझे अंदर से उत्साह भरते हैं
सारे अरमानों को तिलांजलि दी,अब चली उस वेदी, निश्वास हो गई, हाँ जी जगत से बहुत दूर हो ग सारे अरमानों को तिलांजलि दी,अब चली उस वेदी, निश्वास हो गई, हाँ जी जगत से बहुत...
अपेक्षाओ को तोडा जुबान को खोला मैंने दुनिया के नजरों में मैं दीवारें लाँघ आई। अपेक्षाओ को तोडा जुबान को खोला मैंने दुनिया के नजरों में मैं दीवारें लाँघ आई...
तुमने एक मकान बनाया, छाया की पहल की, हमने उसे घर बनाया, उस मधु शीतलता दी, तुमने एक मकान बनाया, छाया की पहल की, हमने उसे घर बनाया, उस मधु शीतलता दी,