बहोत ही साधारण सी शख्सियत है मेरी कभी खुद को कभी आपको भी समझने में सारा दिन गुजार देता हूँ।।
कोई भी माँ को नहीं भुला सकता है। छोटा तो अब भी याद कर रो लेता है। कोई भी माँ को नहीं भुला सकता है। छोटा तो अब भी याद कर रो लेता है।
इसी के साथ दादी ने माँ की कूकरी क्लासेज अपनी देखरेख में शुरू करवा दी। इसी के साथ दादी ने माँ की कूकरी क्लासेज अपनी देखरेख में शुरू करवा दी।
माँ अपने दोनों भाइयों की भी बहुत दुलारी थीं। माँ अपने दोनों भाइयों की भी बहुत दुलारी थीं।