कवि
हम तो थे पूरे दीवाने कुछ मस्ताने तुम भी थे। हम तो थे पूरे दीवाने कुछ मस्ताने तुम भी थे।
छत पे आना तेरा बाल खोले हुए थी खिली धूप, सुरमई छटा हो चली। छत पे आना तेरा बाल खोले हुए थी खिली धूप, सुरमई छटा हो चली।
सौंधी मिट्टी की खुशबू उड़ी है याद गाँव के संग ला रही है । सौंधी मिट्टी की खुशबू उड़ी है याद गाँव के संग ला रही है ।