Zubaan-E-Dil
उसके चेहरे पे खिलती थी रात उससे ही हो के गुजरती थी। उसके चेहरे पे खिलती थी रात उससे ही हो के गुजरती थी।
फ़र्क नहीं पड़ता मुझे अब... किसी के रूठ जाने से... फ़र्क नहीं पड़ता मुझे अब... किसी के रूठ जाने से...
बांध कर जो रखा था सब्र मैने इतने दिनो से आज फिर उन ज़ख्मो ने मुझे झुका दिया।।।।।। बांध कर जो रखा था सब्र मैने इतने दिनो से आज फिर उन ज़ख्मो ने मुझे झुका दिया।।।।...
दिल का दर्द दिल मे दबा दबा सा है.. वो ज़ख्म अभी भी हरा हरा सा है.. मै आज भी तुझसे बात करने को तरस... दिल का दर्द दिल मे दबा दबा सा है.. वो ज़ख्म अभी भी हरा हरा सा है.. मै आज भी त...
तुने एक नज़र भी मुड़ कर देखा नही.. तुने एक नज़र भी मुड़ कर देखा नही..