Filmmaker, Storyteller, Poet
ये सब सोचते समझते देर हो चुकी थी। वो आंखों से ओझल हो चुकी थी। ये सब सोचते समझते देर हो चुकी थी। वो आंखों से ओझल हो चुकी थी।
मोटी सी किताब, रूखे रूखे पन्ने और एक कहानी की खुशबू मोटी सी किताब, रूखे रूखे पन्ने और एक कहानी की खुशबू
पशुओं को पालकर, जिंदगी भर उनकी प्रजाति के लोगों से उन्हें अलग कर देने में हमें शर्म क्यों नहीं आती ? पशुओं को पालकर, जिंदगी भर उनकी प्रजाति के लोगों से उन्हें अलग कर देने में हमें श...