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माँ तो बस माँ है। उसे रिश्तों का लेखा-जोखा नहीं आता। माँ तो बस माँ है। उसे रिश्तों का लेखा-जोखा नहीं आता।
नयी पीढ़ी ने बड़ी चालाकी से सारे रिश्ते हाशिये में धकेल दिए हैं आधुनिकता की आड़ में! जिस माँ को गर्व था... नयी पीढ़ी ने बड़ी चालाकी से सारे रिश्ते हाशिये में धकेल दिए हैं आधुनिकता की आड़ में...
यही सच है। बदलते परिवेश में रिश्तों की परिभाषा बदल गई है। माँ भले ही अपनी संतानों को किसी भी परिस्थि... यही सच है। बदलते परिवेश में रिश्तों की परिभाषा बदल गई है। माँ भले ही अपनी संतानो...
दुनिया सभी जीव प्रकृति के साथ में संतुलन बनाकर जीते हैं लेकिन इंसान अभी तक ऐसा करना नहीं सीख पाए हैं... दुनिया सभी जीव प्रकृति के साथ में संतुलन बनाकर जीते हैं लेकिन इंसान अभी तक ऐसा क...