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शाम से धुआँ धुआँ हो रही है हँसी, चाँद से रात का हो रहा है मिलन शाम से धुआँ धुआँ हो रही है हँसी, चाँद से रात का हो रहा है मिलन
सुबह होती है मेरी उसकी यादों से और घड़ी के काटे बढ़ते रहते हैं उसके पैगाम के इंतज़ार सुबह होती है मेरी उसकी यादों से और घड़ी के काटे बढ़ते रहते हैं उसके पैगाम...