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माँ तेरे बिन सब कुछ पराया सा लगता है जाने के बाद ही क्यों अहमियत समझ आती है माँ तेरे बिन सब कुछ पराया सा लगता है जाने के बाद ही क्यों अहमियत समझ आती है
माटी का खिलौना था, हीरे का समझ बैठा एक पल में पराया हो गया, वक़्त की अदा थी माटी का खिलौना था, हीरे का समझ बैठा एक पल में पराया हो गया, वक़्त की अ...
यह कविता एक एसे व्यक्ति की तलाश है जो जीवन में से निराशा को दूर करके नई उर्जा का संचार कर दे । यह कविता एक एसे व्यक्ति की तलाश है जो जीवन में से निराशा को दूर करके नई उर्जा का...