I'm Shashi and I love to read StoryMirror contents.
जख्मों को अपने छुपाता हूँ तुझसे ऐबों को अपने हटाने लगा हूँ जख्मों को अपने छुपाता हूँ तुझसे ऐबों को अपने हटाने लगा हूँ
'रोज सुबह एक नई अंगड़ाई लेती, अपने दरारों की फिक्र किये बिना, उनके साथ चुपचाप हो लेती थी, मेरे दादा ... 'रोज सुबह एक नई अंगड़ाई लेती, अपने दरारों की फिक्र किये बिना, उनके साथ चुपचाप हो...
दिन बीतते गये मेज पर मेरे, कैलेंडर के पन्ने नए होते गये हर रोज बिखरते नये कागजों की धूल मेरे इरा... दिन बीतते गये मेज पर मेरे, कैलेंडर के पन्ने नए होते गये हर रोज बिखरते नये काग...
न जाने कब ये बारिश से बचपन की दोस्ती बड़प्पन संग खोने लगी...! न जाने कब ये बारिश से बचपन की दोस्ती बड़प्पन संग खोने लगी...!