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गेहूँ चना की बाली हँसती ढोल बजे से वो भी झूमती रंग बरसे गेहूँ चना की बाली हँसती ढोल बजे से वो भी झूमती रंग बरसे
ढुलकते अश्कों का दर्द जिसने जान लिया । ढुलकते अश्कों का दर्द जिसने जान लिया ।
जिंदगी के पंथ पर विश्राम लेकर क्या करूंगी, क्योंकि एक पल श्वांस का रुकना मरण का जिंदगी के पंथ पर विश्राम लेकर क्या करूंगी, क्योंकि एक पल श्वांस का ...