शौक-ए-दिदार अगर है तो नजर पैदा कर!
आखिर में सबने खेलने को पढ़ने से ज्यादा अच्छा बता दिया। आखिर में सबने खेलने को पढ़ने से ज्यादा अच्छा बता दिया।
वो आज भी महसूस करती है उस मचलन को। वो आज भी महसूस करती है उस मचलन को।
काश हम कम तरक़्क़ी करते, यह समझ पाते कि जिंदगी का विकल्प नहीं होता। काश हम कम तरक़्क़ी करते, यह समझ पाते कि जिंदगी का विकल्प नहीं होता।
पिता का माँ का बेटी का नमाजी का पंडित का फौज़ी का भिखारी का सपना हर किसी का अपना सपना पिता का माँ का बेटी का नमाजी का पंडित का फौज़ी का भिखारी का सपना हर किसी का अपना ...
यह शहरों के उन हिस्सों की सच्चाई हैं जो अकसर छुपा दी जाती है। एक व्यंग कहानी... यह शहरों के उन हिस्सों की सच्चाई हैं जो अकसर छुपा दी जाती है। एक व्यंग कहानी...