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वह गैर हैं और जो गैर हैं उनके दर्द से कोई फर्क ही नहीं पड़ता वह गैर हैं और जो गैर हैं उनके दर्द से कोई फर्क ही नहीं पड़ता
जिसके कण कण में मिठास कवि की बुझाए जो प्यास जिसके कण कण में मिठास कवि की बुझाए जो प्यास
तेरा छुप जाना फिर पीछे से बांहों में जकड़ लेना तेरा छुप जाना फिर पीछे से बांहों में जकड़ लेना
इतनी जल्दी क्या थी कभी कोई गिला शिकवा न रहा जो भी कहता सच कहता था इतनी जल्दी क्या थी कभी कोई गिला शिकवा न रहा जो भी कहता सच कहता था