लेखन की विधा से पिछले 30 वर्षों से जुड़ा हूँ... इन दिनों नाटक लिखने में व्यस्त हूँ
देह से थे कमजोर मगर, दिल में स्वतन्त्रता के अंगारे, जलती धूप में सोचे वह, कैसे अत्य देह से थे कमजोर मगर, दिल में स्वतन्त्रता के अंगारे, जलती धूप में सोचे वह,...
ध्यान धराती मेरी माँ ध्यान धराती मेरी माँ
झीलें तुम्हारी आँखों में झीलें तुम्हारी आँखों में