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बाहर की दुनिया में अपना सम्मान बचाना परिवार की मर्यादा का हरदम वचन निभाना बाहर की दुनिया में अपना सम्मान बचाना परिवार की मर्यादा का हरदम वचन निभाना
परास्नातक तक अर्थशास्त्र पढा मैंने अध्ययन किया पूर्ण मनोयोग से। परास्नातक तक अर्थशास्त्र पढा मैंने अध्ययन किया पूर्ण मनोयोग से।
भारतवर्ष के मस्तक पर, जैसे शोभित ऊंचा हिमालय है सब भाषाओं को सुशोभित, करती वैसे हमारी भारतवर्ष के मस्तक पर, जैसे शोभित ऊंचा हिमालय है सब भाषाओं को सुशोभित, करती वै...
खांसने पर मुलैठी को चिंगम जैसे चबाने को देती थी आंगन की तुलसीपत्तों का काढ़ा बुखार में खांसने पर मुलैठी को चिंगम जैसे चबाने को देती थी आंगन की तुलसीपत्तों का काढ़ा ब...