Assistant professor क्या लिखूं मुक़ाम अभी बाकी है, जिंदगी चल रही है कारवां बाकी है।।
थोड़ा तो रहम फूलों पर होता, उनको भी पैरों से कुचल गयी, थोड़ा तो रहम फूलों पर होता, उनको भी पैरों से कुचल गयी,
कैसे खेल खेलती हो, आधी रात में तृष्णा छेड़ती हो कैसे खेल खेलती हो, आधी रात में तृष्णा छेड़ती हो
सागर का किनारा हूँ बार बार आऊंगा सागर का किनारा हूँ बार बार आऊंगा