चल रही है ये हवा,
या तुम मचल रही हो,
बिजलियों का कौंध है ,
या तुम मन मे गरज़ रही हो,
चाहती हो बरसना मुझ पर,
या मन ही मन बस डोल रही हो,
घनी रात है कैसी,
ऊपर से सर्द मौसम,
बरस भी जाओ
मेरा क्या है मैं तो लौट आऊंगा,
सागर का किनारा हूँ बार बार आऊंगा,
एक बार मिलकर लौट जाते है अजनबी,
नदी की धारा नही हूँ जो दुबारा नही आऊंगा