पेशे से हाई स्कूल शिक्षिका हूं।लिखना शौक ही नही आत्मा की रसद है।
Share with friendsखबर दे दो तुफां को चिराग़ो को जला रखा है। अब ढूंढता खुद को हूं कि कब से भुला रखा है। उम्मीद की थपकियां दे दे कर ही तो रोज मनचाहे ख़्वाबों को हमने सुला रखा है।
मन घूम रहा है उन्हीं गलियों में बंजारा बन कर। अकेला छोड़ गया जो यूंही बेगाना बन कर। मतलबी राब्ता उसकी मतलबी निकली यारी। पल में बदल गया इश्क़ रोए फसाना बन कर।
गैर-मुमकिन क्यों रहा इक मनचाही दुआ का स्वीकार होना। आसमां वाले बता क्यों इतना कठिन है किसी का प्यार होना।।
रेत सम हाथों से फिसल रहे हो तुम ...आहिस्ता -आहिस्ता, कि बढ़ रहा दिल का चांद अमा की ओर आहिस्ता-आहिस्ता।
देख कजरारे घन, व्यग्र हुआ मन का विरही यक्ष। धैर्य के टूटे तटबंध ,खुला सुखद स्मृतियों का कक्ष। 'मेघदूतम' की पंक्तियां अनायास हो उठी संजीव, बरसती घटा झूम के मजबूत करती प्रेम का पक्ष। दीपप्रिया मिश्रा
वो जादूगर है , शब्दों को पल में शायरी कर देता है। रात अमावस की हो गले लगा कर चांदनी कर देता है। दीपप्रिया मिश्रा
परेशां है मगर तेरा इंतजार कर लेंगे। गले लगाकर तुम्हें राजदार कर लेंगे। इश्क अपना हो जाए जो मुकम्मल , खिज़ा के मौसम को बहार कर लेंगे। दीपप्रिया मिश्रा
बज़्म ए फलक के सितारों से तेरा सिंगार कर देंगे। इक पल भी मिला तो सौ जन्मों का प्यार कर देंगे। दिल में आँखों में सांसों में,भी बस एक तू है सनम, गले लगा कर तुम्हें चमकता महताब यार कर देंगे।। दीपप्रिया मिश्रा