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खबर दे दो...

खबर दे दो तुफां को चिराग़ो को जला रखा है। अब ढूंढता खुद को हूं कि कब से भुला रखा है। उम्मीद की थपकियां दे दे कर ही तो रोज मनचाहे ख़्वाबों को हमने सुला रखा है।

By Anamika Mishra
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