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मन घूम रहा...

मन घूम रहा है उन्हीं गलियों में बंजारा बन कर। अकेला छोड़ गया जो यूंही बेगाना बन कर। मतलबी राब्ता उसकी मतलबी निकली यारी। पल में बदल गया इश्क़ रोए फसाना बन कर।

By Anamika Mishra
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