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देख कजरारे...

देख कजरारे घन, व्यग्र हुआ मन का विरही यक्ष। धैर्य के टूटे तटबंध ,खुला सुखद स्मृतियों का कक्ष। 'मेघदूतम' की पंक्तियां अनायास हो उठी संजीव, बरसती घटा झूम के मजबूत करती प्रेम का पक्ष। दीपप्रिया मिश्रा

By Anamika Mishra
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