हमारे देश में छात्रों के लिए विधिक शिक्षा का प्रावधान स्नातक स्तर पर ही होता है। हालांकि, इससे पहले, विद्यार्थियों को नागरिक शास्त्र के रूप में, थोड़ी-बहुत जानकारी जरूर दी जाती है, लेकिन इसे पर्याप्त कतई नहीं कहा जा सकता। इसका दुष्परिणाम यह होता है कि वयस्क होने तक भी हमारे विद्यार्थियों के पास अपने ही देश के कानून के बारे में मूलभूत जानकारियां तक नहीं होती हैं। जब ये बच्चे एक नागरिक के रूप में कोई कानूनी मदद लेने के लिए किसी पुलिस थाना या अदालत में पहुंचते हैं, तो इन्हें कानूनी प्रक्रिया, अपने संवैधानिक दायरों, कर्तव्यों और यहां तक कि अधिकारों के बारे में भी बहुत कम जानकारी होती है। देश में वैधानिक शिक्षा के मौजूदा स्वरूप पर अधिवक्ता और विधिक मामलों के जानकार अमिताभ नीहार के साथ बात कर रहे हैं मीडियाभारती.नेट के संपादक धर्मेंद्र कुमार ...
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