STORYMIRROR




00:00
00:00

बचपन से ही क्यों न दी जाए कानून की शिक्षा..!

बचपन से ही

हमारे देश में छात्रों के लिए विधिक शिक्षा का प्रावधान स्नातक स्तर पर ही होता है। हालांकि, इससे पहले, विद्यार्थियों को नागरिक शास्त्र के रूप में, थोड़ी-बहुत जानकारी जरूर दी जाती है, लेकिन इसे पर्याप्त कतई नहीं कहा जा सकता। इसका दुष्परिणाम यह होता है कि वयस्क होने तक भी हमारे विद्यार्थियों के पास अपने ही देश के कानून के बारे में मूलभूत जानकारियां तक नहीं होती हैं। जब ये बच्चे एक नागरिक के रूप में कोई कानूनी मदद लेने के लिए किसी पुलिस थाना या अदालत में पहुंचते हैं, तो इन्हें कानूनी प्रक्रिया, अपने संवैधानिक दायरों, कर्तव्यों और यहां तक कि अधिकारों के बारे में भी बहुत कम जानकारी होती है। देश में वैधानिक शिक्षा के मौजूदा स्वरूप पर अधिवक्ता और विधिक मामलों के जानकार अमिताभ नीहार के साथ बात कर रहे हैं मीडियाभारती.नेट के संपादक धर्मेंद्र कुमार ...

Enjoy more

देश को नहीं है ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की जरूरत

‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का मुद्दा ‘गर्मी’ पकड़ने

इतनी भी आसान नहीं है 'पांच ट्रिलियन डॉलर' की अर्थव्यवस्था...

कोरोना के चलते 'पांच ट्रिलियन डॉलर' की अर्थव्यव

तीन महीने के खर्चे जितनी बचत है बेहद जरूरी

आपद काल में छोटी बचतें कितनी कारगर साबित हो सकत

अब 'साइलेंट वोटर' ही खोलेगा सत्ता का द्वार

चुनावी प्रक्रिया में, 'साइलेंट वोटर' के रूप में

भरोसे में आई कमी से बढ़ी हैं नरेंद्र मोदी की मुश्किलें

हालिया कुछेक महीनों में सरकार के कई फैसलों से ल

निजता के नाम पर न बने दूरी

निजता के नाम पर रिश्तों में दूरी बनाने से होने

भोजपुरी भाषा के उद्गम की कहानी

भोजपुरी साहित्य की परंपरा संत कबीर दास, दरिया द

अजीब दोराहे पर अटक गया है मीडिया

बीते कई राजनीतिक और सामाजिक प्रकरणों में रिपोर्

कम आमदनी में भी ऐसे जारी रखें छोटे निवेश...

कोरोना काल में, हालांकि, घरेलू निवेश करने की बा

समझिए एमएसपी का असली 'खेल'

किसानों के संघर्ष की मुख्य वजह बना न्यूनतम समर्

एमएसपी को ‘लीगल’ करने से नहीं है कोई फायदा

किसान सड़कों पर उतरकर नए कृषि कानून का विरोध कर

‘लव जिहाद’ या महज बीजेपी का खुराफाती दिमाग!

यूपी, मध्य प्रदेश और अब हरियाणा में भी सरकारों

आ गया है एक्जिट पोल से पीछा छुड़ाने का समय

बिहार चुनावों के परिणाम हमारे सामने आ चुके हैं.

बिहार चुनाव परिणामों के क्या हैं मायने?

बिहार में चुनावों के परिणाम आ चुके हैं। अब बिहा

उत्तर और दक्षिण का सामाजिक विभाजन : मिथक और वास्तविकताएं

पूरी दुनिया में उत्तर और दक्षिण के बीच श्रेष्ठत

धर्म की राजनीति का अगला पड़ाव तो नहीं है श्री कृष्ण जन्मभूमि आंदोलन!

राम जन्मभूमि मामले में अदालत के फैसले के बाद मं

सरकारें नहीं, समाज खत्म करेगा बढ़ती ‘संवेदनहीनता’ को

समाज में संवेदनहीनता लगातार बढ़ती जा रही है। अस

‘बकवास’ ही नहीं, बढ़िया सिनेमा भी बनता है भोजपुरी में

... एक रात को दो बजे, जब अचानक नींद खुल गई तो ट

बचपन से ही क्यों न दी जाए कानून की शिक्षा..!

हमारे देश में छात्रों के लिए विधिक शिक्षा का प्

क्या बीजेपी नीतीश कुमार को 'किनारे' लगाने की कोई चाल चल रही है?

बिहार में चुनावी सरगर्मियां बहुत तेज हो गई हैं।

पक्ष, विपक्ष और मीडिया को अपने गिरेबां में झांकने की जरूरत

हाथरस में विपक्षी दलों के नेताओं और मीडिया को आ