वाह रे जादूगर
वाह रे जादूगर
1980 के दशक में एक फिल्म आई थी अलीबाबा और चालीस चोर । उसमें एक गाना था "जादूगर जादू कर जायेगा, किसी को समझ नहीं आयेगा" । वास्तव में जादू होता वही है जो किसी को समझ नहीं आये । अगर जादू समझ में आ जाये तो फिर कैसा जादू और कैसा जादूगर ?
राजस्थान में जादूगर जी तीसरी बार मुख्य मंत्री बने थे तब किसी को पता नहीं था कि ये फिर से मुख्य मंत्री बन जायेंगे । मगर वे तो जादूगर हैं और गजब का जादू भी जानते हैं । इसलिये उन्होंने आलाकमान पर ऐसा जादू चलाया कि एक अच्छे खासे "पायलट" को पैदल कर दिया और हवाई जहाज की ड्राइविंग सीट पर खुद बैठ गये । और तो और "पायलट" पर भी ऐसा जादू मंतर कर दिया कि वे पूरे चार साल से "हवा" में ही लटक रहे हैं । जादूगर के बुने गये जाल में अटक रहे हैं और कुर्सी की खातिर दर दर भटक रहे हैं । बेचारे पायलट जी , उनकी पायलटी जादूगरी से पार नहीं पा सकी ।
बहुमत नहीं होने पर भी सरकार चलाने का हुनर कोई जादूगर जी से सीखे । और तो और विपक्षी पार्टी की मुखिया को साधना भी कोई उनसे सीखे । वैसे तो ये नेत्री बहुत तुनकमिजाज हैं । राजसी व्यवहार है उनका मगर उनकी पटरी जादूगर जी से बढिया बैठती है । जादूगर जी में "पटाने" की कला खूब है । जिसमें यह कला होती है वही तो जादूगर कहलाता है और दूसरी पार्टी को निगलने का तो बहुत शानदार तजुर्बा है इन्हें । उनकी दो बार की इस जादूगरी को बहन मायावती से बढकर और कौन जान सकता है ?
जब से उन्होंने सूबे की बागडोर संभाली है तब से वे सूबे को नंबर 1 बनाने में लगे हैं । अपनी सारी जादूगरी इसी में लगा दी है उन्होंने । एक से बढकर एक बयान दिये उन्होंने । ये बयान ही तो उनकी जादू की कला हैं । उनकी मेहनत और जादूगरी की प्रतिभा रंग लाई और उन्होंने आखिर राजस्थान को नंबर 1 राज्य बना ही दिया । अब ये अलग बात है कि राजस्थान अपराधों के मामले में नंबर वन बना । नंबर वन तो नंबर वन ही होता है , वह चाहे किसी भी मामले में ही क्यों न हो ? अच्छा, केवल अपराधों में ही नंबर वन नहीं है अपितु महिलाओं के प्रति अपराधों में भी नंबर वन बन गया है । इसे कहते हैं जादूगरी । भई वाह ! जादूगर हो तो ऐसा ! उनकी जादूगरी के चर्चे दूर दूर तक हो रहे हैं । पश्चिम बंगाल जैसे सूबे उनसे इस जादूगरी की कला सीख रहे हैं । पंजाब तो पड़ौसी राज्य है, उसने तो बाकायदा प्रशिक्षण लेना प्रारंभ कर दिया है ।
उनकी जादूगरी देखकर तो आलाकमान भी दंग रह गया है । आलाकमान के दो "जमूरों" को उन्होंने अपनी जादू की झप्पी से ऐसा घुमाया कि उनको "छठी का दूध" याद आ गया । वे "माता" के दरबार में रोते रोते पहुंचे और कहने लगे
"ऐसा जादू डाला रे , उलट पलट कर डाला रे
जादू की छड़ी से सबको औंधे मुंह कर डाला रे"
उनकी जादू की छड़ी की मार ऐसी पड़ी है कि अब माता ही क्या पूरा खानदान अपने गाल सहला रहा है ।
एक और जादू की कला आज ही उन्होंने दिखाई है । दरअसल वे केवल मुख्य मंत्री नहीं हैं अपितु वे कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग, गृह विभाग और वित्त विभाग के मंत्री भी हैं । जादूगरों को अन्य किसी पर भरोसा नहीं होता है क्योंकि वे जादूगरी की कला को समझते हैं । वे जानते हैं कि क्या पता कब कोई अपनी जादूगरी की कला का कमाल दिखा दे और उनके पैरों के नीचे से "रैड कारपेट" खिसका कर ले जाये ? फिर तो ये सड़क पर आ जायेंगे और आजकल सड़कों पर लोग जादूगरी कहां देखते हैं ? तो आज उन्होंने जादू की कला का एक और नमूना पेश कर दिया ।
वित्त मंत्री होने के नाते उन्हें विधान सभा में आज बजट पेश करना था । उन्होंने आज बजट पेश कर भी दिया और बजट भाषण पढना भी शुरू कर दिया । उन्होंने करीब दस मिनट भाषण पढा होगा कि जलदाय विभाग के मंत्री जी घबराये हुए उनके पास आये और जादूगर जी के कान में फुसफुसा कर बोले
"हुजूर गजब हो गया । ये पिछले साल का बजट भाषण है जिसे आप पढ़ रहे हैं । इसे रोकिए हुजूर । जब तक इस साल का बजट भाषण आये तब तक "टमाटर" खाइये"। दरअसल जादूगर जी को "टमाटर" से कुछ ज्यादा ही प्रेम है । वे हमेशा सबको कहते रहते हैं कि टमाटर खाइये, टमाटर खाइये । सचिवालय में भी लोग "टमाटर" ही खाते हैं । आखिर मुखिया जी का पसंदीदा "फल" जो है । टमाटर वैसे तो सब्जी की श्रेणी में आता है मगर मुखिया जी ने इसे "फल" घोषित कर दिया है तब से इसे फल समझ कर खाते हैं लोग ।
जब नया बजट भाषण आया तब पुन: बजट भाषण पढा गया । इस तरह भारतीय संसदीय प्रणाली के इतिहास में एक कीर्तिमान और स्थापित हो गया है । हम लोग आज बहुत ही गौरवान्वित हो रहे हैं कि हमने राजस्थान की धरती पर जन्म लिया और हमें जादूगर का अनोखा नेतृत्व मिला । आखिर एक बार फिर से राजस्थान को नंबर वन बनने का सौभाग्य हासिल हुआ है ना ? तो इसके लिए फिर एक बार जादूगर जी को कोटि कोटि नमन ।
पर लोग कह रहे हैं कि इसमें जादूगर जी की कोई चाल है । वैसे तो जादूगर जी नित नई चाल चलने में सिद्ध हस्त हैं और उन्होंने आलाकमान की "खड़ाऊं" बनने से इंकार कर अपनी जादूगरी कला का सार्वजनिक प्रदर्शन भी किया था । लेकिन आलाकमान के कोप के कारण अफ जादूगरी दिखाने की आवश्यकता अधिक पड़ रही है ।
अभी दो दिन पहले ही लोकसभा में इनके अघोषित आलाकमान ने "अडानी" पर बहुत सारे हवाई हमले किये थे और संसदीय परंपराओं एवं नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए उन्होंने पूर्ण मनमानी वाला व्यवहार किया था । आखिर वे खुद को अभी भी "राजा" समझते हैं । पर उनके हवाई हमलों से राजस्थान में "अडानी" द्वारा किया जाने वाला 70000 करोड़ रुपए का निवेश खटाई में पड़ने जा रहा है । यह एक बहुत बड़ा धक्का है और इस धक्के से जादूगर जी की अक्ल ठिकाने आ गयी है । तो इस धक्के की खुन्नस में हो न हो मुखिया जी ने मिस्टर नटवरलाल की तरह "थप्पड़" खाने वाली स्टाइल में "सेल्फ गोल" कर लिया हो । क्योंकि जादूगर जी इतने मंझे हुए नेता हैं और पिछले 10 वर्षों से वह यह काम (बजट पेश करना) करते आ रहे हैं तो उनसे ऐसी ब्लंडर होने की उम्मीद नहीं की जा सकती है ।
दरअसल जादूगर जी को दो में से एक का चुनाव करना था । या तो आलाकमान या अड़ानी । आलाकमान के पास अब कोई सामान है नहीं इसलिए उस झुनझुना से ये कुछ हासिल कर पायेंगे इसमें संदेह है । लेकिन अडानी बहुत कुछ कर सकता है । आखिर 60-70 हजार करोड़ रुपए की बात है । इतने रुपयों के लिए तो किसी की भी इज्जत दांव पर लगाई जा सकती है । तो जादूगर जी ने स्वयं की और पार्टी की इज्ज़त दांव पर लगाने में कोई संकोच नहीं किया होगा ।
जितने मुंह उतनी बातें हैं । हमें नहीं पता कि कौन सही है और कौन गलत ? पर सयाने लोग जो कहते हैं उसे मान लेना चाहिए क्योंकि सत्ता के गलियारों में उन्हीं का बोलबाला रहता है । अभी तो लगभग नौ महीने और देखने को मिल सकती है जादूगर जी की जादूगरी । तो तब तक दिल थामकर बैठे रहिए और जादूगर जी की जादूगरी देखते रहिए ।
