स्कूल के दिन
स्कूल के दिन
किनारों पर समंदर के ख़ज़ाने नहीं आते
फिर लौट के यह दिन स्कूल के नहीं आते।
हाथ में लंच बॉक्स
उसमे माँ का खाना,
और उसके लिए लड़ने वाले
वह लोग सिर्फ अभी मिलेंगे,
कल लुक बॉक्स भी होगा
और वह खाना भी
पर उसके लिए लड़ने वाले
वह दोस्त नहीं मिलेंगे।
आज तरसते है, जिस ग्राउंड के लिए
एक सब्सि के इंतज़ार में
कल वह तरसेगा हमारी इंतज़ार में।
जितनी हिम्मत चाहिए
उस जवान को हर जंग जीतने के लिए
उतनी ही हिम्मत हमें चाहिए,
क्लास में बैठकर खाना खाने के लिए।
दुआ मांगते है
'सब्सि ' के लिए, जैसे मांग रहे हो स्वयं खुदा को,
आज जिन टीचर्स से भाग रहे है
कल उन्ही से मिलने आएंगे,
जैसे मिलने जा रहे हो
किसी भगवान को।
सबसे मीठी आवाज़ लगती है, उस घंटी की
जब सबकी निगाहे इंतज़ार कर रही हो
घडी के कांटे के सरकने की;
कल वह घंटी भी होगी
और वह आवाज़ भी
लेकिन खो जाएगी उसकी वह मिठास कहीं।
दुनिया में कोई भी ऐसी ख़ुशी नहीं,
जो बराबरी कर सके 'एग्जाम' ख़त्म होने की ख़ुशी की,
कल जब ज़िन्दगी हर मोड़ पर इम्तेहान लेगी
तब याद आएगी इन
आसान परीक्षाओं की।
कल जब हर कोई हमें चीट करके,
आगे बढ़ जायेगा ज़िन्दगी में
तब याद उस चीटिंग की
जिससे पास हुआ हम परीक्षाओं में।
'होमवर्क' न करने का सबसे बड़ा बहाना
की मैम काम तो किया था,
पर कॉपी घर पर भूल गए
कल जब 'ऑफिस' में बैठकर,
'प्रेसेंटेशन' बना रहे होंगे,
तब याद आएगा यह बहाना
जिससे हम कई बार
यही बच कर नकल गए।
'मैथ्स' का 'अलजेब्रा'
या 'केमिस्ट्री' का 'फार्मूला'
'बायोलॉजी' के पेड़-पौधे
या 'फिजिक्स' की 'इक्वेशन्स'
'हिस्ट्री' के राजा,
'जियोग्राफी' में रंग रूप, भाषा वेश
यह सब याद रहे या न रहे
हम नहीं भूल पाएंगे
अपना स्कूल रुपी देश।