कविता –“माँ”
कविता –“माँ”
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मेरी माँ,सब से अच्छी
सब से अनोखी,सब से प्यारी
भोली सूरत, निश्छल मुस्कान
हम पर सदा छिड़कती जान
उड़ के छू लें नील गगन को
उनका बस ये ही अरमान
प्रभु की रचना है सृष्टि सारी
पर सबसे सुन्दर है माँ हमारी,
माँ तुम्हारे बारे में जितना लिखूँ कम है
तुम्हारी पास होने से ही
दूर हो जाते मेरे सारे गम हैं,
इसीलिए तो कहती हूँ
तुम हो तो हम हैं
तुम हो तो जहां है
तुम्हारे प्यार बिना तो हम में
जीवन ही कहाँ है,
हम वो पौधे हैं
जिन्हें तुम्हारे प्यार ने
सींचा है,संवारा है
निश्चिंत रहो माँ
आने वाला कल
सिर्फ़ हमारा है.....