माँ
माँ
माँ, नहीं आ सकती मैं
माँ, ममता की मूरत, भगवान की सूरत हो तुम
सबकी पूरक, मेरी जिंदगी की जरूरत हो तुम
अपने साँचे में ढाला, दुनिया से बचा के मुझे पाला
तेरी ममता ने माँ हर कसौटी पे कसना सिखा डाला
आज फिर सावन आया, मन बावरा ये भर आया
जानती हूँ तेरा दिल वो अधलिखा खत पढ़ आया
सखी-सहेली सब पूछ रही, अब तो मैके जाओगी
साल भर की खुशियाँ, सब झोली में भर लाओगी
माँ की ममता बापू का प्यार, भाई -भाभी का दुलार
भतीज-भतीजी की मनुहार, होगा खुशियों का अंबार
मैं मन मार बैठी हूँ यहाँ, करके याद वो सब व्यवहार
घर वो अब ना मेरा है ,ना माँ हक उस पे तुम्हारा है
बुलाते हैं बाबा, बुलाते हैं भाई -भतीज और भावज
मगर हालात जानती हूँ, काम का बहाना बनाती हूँ
आँखों की छुपा के नमी, मैके की लाज बचाती हूँ
कहानियाँ जिम्मेदारियों की सबको खूब सुनाती हूँ
मगर दिल मेरा भी ये नादां, चुपके-चुपके रोता है
जानती हूँ, तेरा भी दिल, हौले-हौले सिसकता है
बैरी जमाने ने जाने कैसे दस्तूर देन-लेन के बनाए
रिश्ते इनके अभाव में, देखो सारे हुए आज पराए
पर माँ, तुम टूट के बिखर न जाना, मुश्किल है आना
सबको यही समझाना, मैं भी बना दूँगी कोई बहाना
माँ, ममता की मूरत हो, भगवान की सूरत हो तुम
सबकी पूरक हो, मेरी जिंदगी की पर जरूरत हो तुम